चरणों में प्रभु तेरे, मुझको भी प्रेम रस वर दे

कृपालु राम भगवन हे शरण में तू मुझे रख ले

 

अधम पापी मैं अभिमानी निर्बल और अज्ञानी

कृपा करके प्रभु मेरे अवगुण सब भुला तू दे

चरणों में प्रभु तेरे, मुझको भी प्रेम रस वर दे

 

महिमा जो तुम्हारी है सभी गुणगान करते हैं

दया कर हे प्रभु मेरे ये महिमा पार तू कर दे

चरणों में प्रभु तेरे, मुझको भी प्रेम रस वर दे

 

माँ शबरी निहारे बाट बुहारे रास्ते, भर आस

चल उन रास्तों पर ही शबरी की राम अब सुध ले

चरणों में प्रभु तेरे, मुझको भी प्रेम रस वर दे

 

त्याग विभीषण पद दरबार, तेरी कृपा की लेकर आस

यही अब आस संबल है विभीषण आज शरण तू दे

चरणों में प्रभु तेरे, मुझको भी प्रेम रस वर दे

 

हृदय में भय लिए केवट, मांगे तुझसे ये वरदान

चरण-कमल पखारूँ मैं प्रभु अब तो मुझे तर दे

चरणों में प्रभु तेरे, मुझको भी प्रेम रस वर दे

 

अयोध्या के राम जी की सेवा में समर्पित १/२/२०२४

धुन: – ‘सजा दो घर को गुलशन सा अवध में राम आए हैं’’ भजन

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes:

<a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>