राधा कृष्ण प्राण मोरा जुगल किशोर

जीवन मरण गति, और नाहीं मोर

 

कालिंदी तीरे सघन कादम्बरा वन

रतन आसन ऊपर बैठाऊँ दू-जन

 

स्यामा-गौरी अंग लेपूँ चन्दन गंध

चंवर ढुला के देखूं छवि मुख चंद्र

 

गठ मालती माला संवारूँ जुगल गले

अधर उनके धरूँ कर्पूर-ताम्बूले

 

ललिता विशाखा आदि सगरी सखी बृंद

आनंद ह्रदय मह, सेवा चरणारविंद

 

श्री कृष्ण चैतन्य प्रभु दासों का दास

सेवा अभिलाषा करे ये नरोत्तम दास

 

(हिंदी अनुवाद त्रुटियों सहित –  क्षमाप्रार्थी मुकुल)

अप्रैल १७ २०२१

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